हेल्लो दोस्तों उम्मीद है अप सब ठीक होगे आज के टोपिक में आज हम कमोडिटी ट्रेडिंग के बारे में बात करने वाले है।जब हम कमोडिटी मार्केट के बारे में बात करते हैं तो बहुत से लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होगी। तो आज हम यहाँ पर आपको शुरुआत कसे लेके अंत तक सारी जानकारी देंगे।
वित्त के क्षेत्र में, कमोडिटी ट्रेडिंग एक विशिष्ट स्थान रखती है, जो निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और आवश्यक वस्तुओं की भविष्य की कीमतों पर अटकलें लगाने के अद्वितीय अवसर प्रदान करती है। यह लेख कमोडिटी ट्रेडिंग के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालता है, जैसे की कमोडिटी क्या हैं? है हम इसमें किन चीज़ों की ट्रेडिंग कर सकते हैं और इसमें ट्रेडिंग कैसे होती है?
कमोडिटी क्या है? – What is a Commodity?
कमोडिटीज का मतलब होता है ऐसी चीजें जिन्हें हम अपने जीवन में हररोज यूज करते हैं और उन चीजों को कोई भी प्रोड्यूस करें हम उसे लगभग एक जैसा ही मानते हैं। उदाहरण के लिए चावल, गेहू, ऑयल, एल पी जी गेस, सोना और चांदी। जिस तरह शेयर मार्किट में हम डेरिवेटिव मार्केट पर ट्रेड पर करते हैं ठीक उसी तरह हम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटीज पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग कर सकते हैं।
कमोडिटी मार्केट में आमतोर पर 4 प्रकार की कमोडिटीज में ट्रेडिंग होती है पहली है एग्री कमोडिटीज जैसे कॉटन, सोयाबीन, ब्लैक पेपर, सुगर, पल्सिस, कास्टर सीड्स, मेज़ और बार्ली । दूसरी है बेस मेटल्स जैसे अल्यूमिनियम, कॉपर, लेड, निकेल और जिंक। तीसरी है प्रेशियस मेटल्स है जिसे हम व्याध कहते हैं इसने दो कमोडिटी आती हैं गोल्ड और सिल्वर और 34 है एनर्जी और चौथी है एनर्जी जिसमे क्रूड ऑयल और नैचुरल गैस आते हैं।
कमोडिटी की ज्यादातर ट्रेडिंग फ्यूचर डेरिवेटिव में होती है यानि हम इस चारों तरह की कमोडिटीज पर अलग अलग समय पर फ्यूचर कोंट्राक्ट की बाइंग और सेल्लींग कर सकते हैं।
कमोडिटी ट्रेडिंग कहा पर होती है ?
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है भारत में आज के समय में कुल मिलाकर 6 कमोडिटी एक्सचेंज है।
- MCX – मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- NCDEX – नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज
- NMCE – नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
- ICEX – इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज
- ACE – एस डेरिवेटिव एक्सचेंज
- UCX – ध उनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज
अगर आप कमोडिटी मार्केट में जब भी ट्रेडिंग करेंगे तो इस 6 एक्सचेंज से ही ट्रेड होगा। और इस मार्केट की भी रेगुलेटर SEBI ही है। जो शेयर मार्केट को भी रेगुलेट करती है।
दोस्तों कमोडिटी में ट्रेडिंग करना शेयर्स में ट्रेडिंग करने से ज्यादा रिस्की होता है। क्योंकि किसी भी कमोडिटी का प्राइस काफी कम समय में काफी तेजी से चेंज हो सकता है इसकी वजह यह है कि कमोडिटी फिसिकल प्रोडक्ट्स पे निर्भर रहता है। जैसे ही प्रोडक्ट्स की डिमांड और सप्लाय बढती है वैसे ही इस कमोडिटी मार्केट में हलचल होती रहती है।
कमोडिटी ट्रेडिंग से कैसे अलग है?
कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में एक फर्क यह है की शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग के फायदे क्या है ?
उच्च रिटर्न की संभावना : कमोडिटी ट्रेडिंग में शेयर बाजार की तुलना में अधिक अस्थिरता होती है, लेकिन यह उच्च संभावित रिटर्न भी प्रदान कर सकता है।
हेजिंग: कमोडिटी का उपयोग अन्य निवेशों से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए हेजिंग टूल के रूप में भी किया जा सकता है।
विभिन्न ट्रेडिंग विकल्प: इस में आप विभिन्न तरीकों से ट्रेडिंग कर सकते है, जैसे कि फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट, ऑप्शंस और ETFs, जो निवेशकों को अपनी आवश्यकताओं और जोखिम सहनशीलता के अनुसार रणनीति चुनने की सुविधा प्रदान करते हैं।
विविधीकरण: कमोडिटी, शेयर बाजार से अलग तरह से काम करते हैं, इसलिए कमोडिटी ट्रेडिंग आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिम कम करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
Q. कमोडिटी मे सबसे ज्यादा ट्रेडिंग किसमे होती है ?
A. कमोडिटी मार्केट में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग क्रुड ओइल और गोल्ड में होती है ओर इस कमोडिटीस में वैसे लोग ज्यादा ट्रेडिंग करते है जो लोग इसी फिल्ड में काम करते है।
Note: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कमोडिटी ट्रेडिंग में जोखिम भी शामिल हैं। अस्थिरता के कारण, कमोडिटी की कीमतें तेजी से और अप्रत्याशित रूप से बदल सकती हैं, जिससे नुकसान हो सकता है।